जय हिन्द...

सोमवार, 30 दिसंबर 2019

भारत लंबे समय तक युवाओं का देश बना रहेगा
मैट्स में युवा संवाद, मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों के सवालों का दिया जवाब
सवाल पूछने से ही होती है राज्य व देश की प्रगति -मुख्यमंत्री
रायपुर। बहुत लंबे समय तक यह देश युवाओं का देश बना रहेगा और युवाओं को ही यह देश संभालना है। देश का भविष्य युवा ही हैं। छत्तीसगढ़ में कृषि आधारित उद्योग में युवाओं के रोजगार की अनेक संभावनाएँ हैं। युवाओं को राजनीति में भी आना चाहिए और उन्हें प्रगतिशील विचारों के साथ आना चाहिए। 
उपर्युक्त बातें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मैट्स विश्वविद्यालय द्वारा यहाँ पंडरी स्थित मैट्स टॉवर में आयोजित ’युवा संवाद गढ़बो नवा छत्तीसगढ’़ कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ सीधे संवाद में कहीं। विद्यार्थियों के अनेक सवालों का श्री बघेल ने पूरे हर्ष के साथ जवाब दिया और वे युवाओं को प्रश्नों से काफी प्रसन्न हुये। मैट्स विश्वविद्यालय द्वारा सोमवार को युवा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. कर्नल डॉ. बैजू जान, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने अपनी मेहनत, काबिलियत और निरंतर संघर्ष के बल पर मुकाम हासिल किया है। श्री बघेल जी की पूंजी उनकी मुस्कान और सादगी से परिपूर्ण जीवन है और आम आदमी भी यही मानता है कि राज्य के मुखिया की सोच आम आदमी की प्रगति है।
युवा संवाद में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने य़ुवाओं के सवालों का जवाब देने से पूर्व अपने उद्बोधन में कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वे युवाओं के बीच हैं और हमारा देश युवाओं का देश है। भारत की औसत आयु 28 वर्ष है। जब हम 2020 में पहुँचेंगे तब अमेरिका की 42, यूरोप की 39 और जापन की 44 साल औसत आयु होगी जबकि भारत की औसत आयु सिर्फ 29 साल रहेगी। यह देश महात्मा गांधी का देश है जिस पर हम गर्व करते हैं। श्री बघेल से मैट्स विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने अनेक सवाल किये जिसका श्री बघेल ने विस्तार के साथ जवाब दिया। 
यह पूछने पर कि लम्बे संघर्ष के उपरांत वे मुख्यमंत्री बनकर कैसा महसूस कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे वरिष्ठजनों के सपनों का छत्तीसगढ़ बनाने का अवसर मिला है जिसकी उन्हें काफी प्रसन्नता है। शिक्षा के क्षेत्र में भावी योजनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है और बजट में शिक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। विद्यार्थियों ने नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना से मिलने वाले लाभ को लेकर भी सवाल किये। श्री बघेल ने कहा कि नाला को संवर्धित करने की आवश्यकता है जिससे भविष्य में पानी की समस्या का समाधान हो सके। यही वॉटर रिचार्जिंग है जो नरवा है। पशुपालन के माध्यम से पशुधन संवर्धित होगा जिससे खाद की समस्या का भी समाधान होगा। यह गरुवा है।  घरवा के माध्यम से गांव व शहर के गोबर, कूड़ा-करकट से खाद व गैस बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी जिससे स्वालंबन होगा और बारी के माधयम से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे कृषि लागत कम होगी। इस प्रकार नरवा, गरुवा, घरवा और बारी से हम रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वावलंबी बन सकेंगे।
किसान से मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में श्री बघेल ने कहा कि जब वे साइंस कालेज से पढ़ाई पूरी कर गांव में खेती-किसानी करते थे तो गांव की पटवारी, तहसीलदार, थाने आदि से संबंधित छोटी-मोटी समस्या का समाधान करते थे। लोग विभिन्न समस्याओं को लेकर आने लगते थे और धीरे-धीरे वे राजनीति में आ गये जिसका उद्देश्य समाज सेवा था।
यह पूछने पर कि राज्य में अनेक व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के बाद भी रोजगार का अभाव है तो उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि आधारित रोजगार में अनेक संभावनाएँ हैं और आईटी के क्षेत्र में उद्योग लगाने की हमारी योजना है जिससे युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके। जब उनसे यह पूछा गया कि रायपुर को प्रदुषण मुक्त करने उनकी क्या योजना है तो उन्होंने कहा कि जहाँ राजधानी होती है वहाँ इंडस्ट्रीयल स्टेट नहीं होता और यहाँ दोनों है व अनेक प्रकार का प्रदुषण है। हम युवाओं के साथ मिलकर रोड मैप बनाएंगे और युवाओं से ही पूछेंगे कि रायपुर को प्रदुषण मुक्त व सुंदर कैसे बनाएँ। 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने युवाओं से कहा कि यदि किसी उद्देश्य को लेकर चल रहे हैं तो कोई आपका स्वयं का विचार या कोई विचारधारा होनी चाहिए। हम गांधीवादी विचारधारा के हैं। यदि आपका उद्देश्य लोगों की सेवा करना, छ्त्तीसगढ़ की दो करोड़ जनता का हित है आप कभी नहीं थकेंगे। पहली जरूरत किसी न किसी विचारधारा से जुड़ने की है।
श्री बघेल ने युवा संवाद में विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये सवालों के प्रति काफी प्रसन्नता व्यक्त की और यह भी कहा कि सवाल करना जरूरी है लेकिन आज के दौर में सवाल पूछना भी अपराध हो जाता है। सवाल से ही व्यक्ति प्रगति करता है और जो सवाल पूछने से बुरा नहीं मानता, अच्छा मानता है सवाल उन्हीं से पूछिये।













संचार के आधुनिक माध्यमों से समृद्ध हुआ है हिन्दी साहित्य
राष्ट्रीय संगोष्ठी में शोधार्थियों ने प्रस्तुत किये शोध पत्र
रायपुर। संचार के माध्यमों के विकास के साथ-साथ हिन्दी साहित्य का भी विकास हुआ है। हिन्दी साहित्य को आधुनिक संचार माध्यमों ने वैश्विक पहचान दी है। एक समय साहित्य और पत्रकारिता का अटूट संबंध था किन्तु आज दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ गई हैं जिसे खत्म करने की आवश्यकता है। दूसरों तक अपनी बात पहुँचाने में व्यक्ति स्वयं माध्यम है। 

 
उपर्युक्त बातें मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में अतिथियों, प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों ने व्यक्त कीं। हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी के  अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार गीताश्री (दिल्ली), विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर, कल्याण महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा. सुधीर शर्मा, कार्यक्रम की अध्यक्ष डा. उर्मिला शुक्ल, कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. कर्नल डा. बैजू जान,प्लेसमेंट अधिकारी दीपिका ढांढ सहालकार तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पुसदकर, सत्र के विषय विशेषज्ञ डा. गौरी अग्रवाल, डा. अनुसुईया अग्रवाल, डा. सरस्वती वर्मा सहित विभिन्न विभागों व महाविद्यालयों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थि उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।  इस अवसर पर मुख्य अतिथि गीता श्री ने पत्रकारिता व हिन्दी साहित्य के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ गई हैं जिन्हें कम करना संभव प्रतीत नहीं होता। साहित्यकारों ने ही पत्रकारिता को आगे बढ़ाया है। प्राचीन काल से अब तक सफर तय करते-करते दोनों अलग-अलग हो गये। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर ने कहा कि पहले जो साहित्यकार होता था वह पत्रकार भी हुआ करता था और वही पत्रकार श्रेष्ठ माना जाता था जिसे साहित्य में रूचि हुआ करती थी। स्वतंत्रता के आंदोलन में अंग्रेजो के शासनकाल में साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जन-जन को अपने साहित्य के माध्मय से जागरुक करने में समय के साथ-साथ साहित्य की प्रवृत्तियाँ भी बदली हैं। विशिष्ट अतिथि डा. सुधीर शर्मा  ने कहा कि  संचार के आधुनिक माध्यमों के संबंध में विस्तार से बताते हुए कहा कि वर्तमान में कोई भी साहित्यकार फेसबुक, ब्लाग आदि के माध्यम से अपनी रचनाओं को विश्व में बहुत की कम समय में पहुँचाने में सक्षम है। 
इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और हम सभी का कर्तव्य है कि हिन्दी भाषा को हम समृद्ध करें। श्री पगारिया ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार होगा तथा शोधार्थियों को भी इसका लाभ प्राप्त होगा। इस अवसर पर कुलपति  प्रो. कर्नल डा. बैजू जान ने कहा कि व्यक्ति स्वयं एक सर्वश्रेष्ठ माध्यम है अपनी बातों को जन-जन तक पहुँचाने का। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डा. उर्मिला शुक्ल ने कहा कि जब लिखने के लिए कागज नहीं था तो भोज पत्र पर लिखा गया, चमड़े पर भी लिखा गया। समय के साथ-साथ प्रेस की स्थापना हुई और प्रकाशन प्रारंभ हुआ। पत्रकारिता और साहित्य का अटूट संबंध रहा है। सचार के आधुनिक माध्यमों ने साहित्य को समृद्ध किया है। दूरदर्शन, इंटरनेट के माध्यम से साहित्य जन-जन तक पहुंच रहा है। वरिष्ठ पत्रकार एवं सलाहकार श्री अनिल पुसदकर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय की प्रशंसा की एवं कहा कि आज के समय में हिन्दी विभाग कई शैक्षणिक संस्थानों से लुप्त हो गये हैं एसे में मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम जैसे विषयों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करना प्रशंसनीय है। समारोह में राज्य के विभिन्न जिलों के महाविद्यालयों से आए शोधार्थियों ने विभिन् विषयों पर अपने शोध पत्र की प्रस्तुत दी। इसके पूर्व अपने स्वागत भाषण में विभागाध्यक्ष हिन्दी डा. रेशमा अंसारी ने कहा कि हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता का अनूठा और गहरा संबंध है, भारतेंदु जी हों या महावीर प्रसाद द्विवेदी, निराला हों या नामवर सिंह जी , सभी ने साहित्य को समाज से जोड़ने के लिए साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।

जैसे-जैसे संचार साधनों का विकास होता जा रहा है, वैसे-वैसे देश-दुनिया की खबरों से हम अतिशीग्र अवगत होते हैं, साहित्य भी इससे अछूता नहीं है। संचार माध्यमों का प्रभाव साहित्यिक क्षेत्रों में भी दिखाई देता है अतः राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम हमने इसलिए चुना कि वास्तव में आज इस विषय पर चर्चा की आवश्यकता है। इस अवसर पर अतिथियों ने राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
सुदीप्तो चटर्जी को श्रेष्ठ शोध पत्र का पुरस्कार
राष्ट्रीय संगोष्ठी में सुदीप्तो चटर्जी को श्रेष्ठ शोध पत्र का पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री चटर्जी ने सोशल मीडिया और पर्यटन विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। विषय विशेषज्ञ डा. अनुसुईया अग्रवाल, डा. गौरी अग्रवाल एवं डा. सरस्वती वर्मा तथा विभागाध्यक्ष हिन्दी डा. रेशमा अंसारी ने स्मृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र देकर श्री चटर्जी को पुरस्कृत किया। 
विभिन् विषयों पर प्रस्तुत किये गये शोध पत्र
राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये। इनमें हिन्दी साहित्य और सोशल मीडिया का प्रभाव, प्रोद्योगिकी और हिन्दी भाषा, आधुनिक मीडिया: भाषा और प्रकृति, तकनीकी युग में हिन्दी साहित्य का बदलता स्वरूप, प्रिंट मीडिया: चुनौतियाँ और संभावनाएँ, हिन्दी साहित्यकारों का पत्रकारिता में योगदान, अस्मितामूलक विमर्श और हिन्दी पत्रकारिता, वर्तमान परिदृश्य और साहित्य, हिन्दी साहित्य में स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ, 21वीं सदी के साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना, आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ, हिन्दी साहित्य के विकास में मीडिया की भूमिका, भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी, हिंदी के विकास में वेब मडिया का योगदान, राष्ट्र के विकास में हिंदी का योगदान, साहित्य, पर्यटन और संस्कृति, सोशल मीडिया और पर्यटन, लोक संस्कृति के विकास में मीडिया की भूमिका आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।













हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रदेश व देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार लेंगे हिस्सा
शोधार्थी, विद्यार्थी व प्राध्यापक पढ़ेंगे शोध पत्र
रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा “हिन्दी साहित्य एवं संचार माध्यम” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रदेश व देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, प्राध्यापक शोधार्थी हिस्सा ले रहे हैं। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार गीताश्री (दिल्ली) होंगी। 
हिन्दी  विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि संचार माध्यमों का विस्तार होने से हिन्दी साहित्य का भी महत्व बढ़ गया है। हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार व विकास के उद्देश्य से हिन्दी साहित्य एवं संचार माध्यम विषय पर 30 मार्च को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रदेश व देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, प्राध्यापक, शोधार्थी हिस्सा लेंगे तथा शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक उपविषय भी शामिल किये गये हैं जिनमें हिन्दी साहित्य और सोशल मीडिया का प्रभाव, प्रोद्योगिकी और हिन्दी भाषा, आधुनिक मीडिया: भाषा और प्रकृति, तकनीकी युग में हिन्दी साहित्य का बदलता स्वरूप, प्रिंट मीडिया: चुनौतियाँ और संभावनाएँ, हिन्दी साहित्यकारों का पत्रकारिता में योगदान, अस्मितामूलक विमर्श और हिन्दी पत्रकारिता, वर्तमान परिदृश्य और साहित्य, हिन्दी साहित्य में स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ, 21वीं सदी के साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना, आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ, हिन्दी साहित्य के विकास में मीडिया की भूमिका, भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी, हिंदी के विकास में वेब मडिया का योगदान, राष्ट्र के विकास में हिंदी का योगदान, साहित्य, पर्यटन और संस्कृति, सोशल मीडिया और पर्यटन, लोक संस्कृति के विकास में मीडिया की भूमिका आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। राष्ट्रीय संगोष्ठी मैट्स विश्वविद्यालय परिसर स्थित इम्पेक्ट सेंटर में 30 मार्च को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित की गई है। राष्ट्रीय संगोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार गीताश्री (दिल्ली) होंगी। विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर, कल्याण महाविद्यालय भिलाई के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा होंगे तथा अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शुक्ल करेंगी।  

’यशपाल के उपन्यासों में सामाजिक चेतना’ पुस्तक विमोचित
यशपाल के कथा-साहित्य के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला डॉ. रेशमा अंसारी ने
रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी द्वारा लिखित पुस्तक ’यशपाल के उपन्यासों में सामाजिक चेतना’ का यहाँ हिन्दी विभाग द्वारा ’हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विमचोन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार गीताश्री (दिल्ली), विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर, कल्याण महाविद्यालय भिलाई के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा, कार्यक्रम की अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शु्क्ल, मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. कर्नल डॉ. बैजू जान, सलाहकार श्री अनिल पुसदकर, प्लेसमेंट अधिकारी दीपिका ढांढ सहित विभिन्न विभागों के विभागध्यक्ष, प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। इस पुस्तक का प्रकाशन वैभव प्रकाशन, रायपुर ने किया है। इस पुस्तक में लेखिका डॉ. रेशमा अंसारी ने प्रसिद्ध कथाकार यशपाल के कथा-साहित्य के अनेक अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला है।  गहन अध्ययन के पश्चात लिखी गई इस पुस्तक में यशपाल के सम्पूर्ण उपन्यासों की विविध संदर्भों में विवेचना करने के साथ-साथ उनके उपन्यासों में सामाजिक चेतना का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। डॉ. अंसारी ने यह पुस्तक अपने पिता स्वर्गीय अशरफ अंसारी एवं माता श्रीमती जोहरा अंसारी को समर्पित की है। इस पुस्तक में अनेक सामाजिक समस्याओं के समाधान भी प्रस्तुत किये गये हैं।