जय हिन्द...

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

डॉ. रेशमा अंसारी को राष्ट्रभाषा अलंकरण सम्मान




रायपुर। मैट्स यूनिवर्सिटी के कला एवं मानविकी अध्ययनशाला के अंतर्गत संचालित हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी को राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा, महाराष्ट्र से संबद्ध छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिये राष्ट्रभाषा अलंकरण-2018 से सम्मानित किया। समारोह के मुख्य अतिथि नानावटी महाविद्यालय मुंबई के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ.रविंद्र कात्यायन थे। डॉ. रेशमा अंसारी की इस उपलब्धि पर मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. कर्नल (डॉ.) बैजू जान, महाननिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापकगण ने हर्ष व्यक्त किया है।

हिन्दी दिवस पर विद्यार्थियों का हुआ सम्मान

मैट्स में हिन्दी सप्ताह-2018 का समापन
किसी भी राष्ट्र की अस्मिता होती है भाषा: डॉ. उर्मीला शुक्ल
रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी सप्ताह-2018 का समापन समारोह आयोजित किया गया। हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित इस समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ महिला साहित्यकार डॉ. उर्मीला शुक्ल ने हिन्दी के महत्व से अवगत कराते हुए कहा कि हिन्दी को आज भी राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है बावजूद इसके कि हिन्दी भाषा समर्थ है। हिन्दी में भी कैरियर की अपार संभावनाएँ हैं और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ हिन्दी का वर्चस्व नहीं है।
मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि हिन्दी विभाग द्वारा  14 सितंबर तक हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों के लिये अनेक स्पर्धाओं का आयोजन किया गया। इन विद्यार्थियों को हिन्दी दिवस के अवसर पर अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर समारोह की मुख्य अतिथि वरिष्ठ महिला साहित्यकार एवं शासकीय छत्तीसगढ़ महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. उर्मीला शुक्ल ने छणिकाओं के साथ अपनी बात कही - “काल कोठरी की यातना, कार्यालयों में रही भटक, बैनर ने मुझे बताया आज है हिन्दी दिवस।” उन्होंने कहा कि वास्तव में देखा जाए तो आज भी हिन्दी को राष्ट्राभाषा का दर्जा नहीं मिला है, हालाँकि हिन्दी भाषा का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की कोशिश जरूर की गई लेकिन बाद में इसके लिये कोई प्रयास नहीं किया गया। अंग्रेजी हमारी दुश्मन नहीं है और कोई भी भाषा दुश्मन नहीं होती, हमें हिन्दी भाषा का सम्मान करना चाहिेए और जब तक हिन्दी भाषा में व्यवहार नहीं किया जाएगा तब तक वह समर्थ नहीं हो पायेगी।
कुलपति प्रो. कर्नल डॉ. बैजू जॉन ने कहा कि हिन्दी का अपना महत्व है और हिन्दी भाषा काफी सरल व मधुर भाषा है जो संचार की महत्वपूर्ण भाषा है। हमें अपनी दिनचर्या में भी हिन्दी भाषा का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे शुद्ध हिन्दी का प्रयोग करें और आने वाले समय में विद्यार्थियों के प्रयासों से ही हिन्दी को उचाइयों की ओर अग्रसर किया जा सकता है। समारोह में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर ने कहा कि हिन्दी का भविष्य बहुत उज्जवल है और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें हिन्दी के विद्यार्थियों के लिये कैरियर की संभावनाएँ नहीं है, हमें हिन्दी भाषा का सम्मान करना चाहिए। इसके पूर्व हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने स्वागत भाषण में कहा कि राष्ट्रभाषाा का शाब्दिक अर्थ होता है समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा, अर्थात आमजन की भाषा, जो भाषा समस्त राष्ट्र में जन-जन के विचार-विनिमय का माध्यम हो, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है। राष्ट्रभाषा देश के विभिन्न समुदायों के बीच भावनात्मक एकता स्थापित करती है तो आइये हम आपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्मान करें. प्रयोग करें और हिन्दुस्तान को एकता के सूत्र में बांधे, अपने देश को मजबूत करें। 

इसके पूर्व समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं द्वीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। 
पुरस्कृत विद्यार्थी
इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों सहित सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहन पुरस्कार अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया। इनमें चित्रकला प्रतियोगिता में टिकेश्वर चौधरी, रवि कुमार मांझी, भानुप्रताप (हिन्दी विभाग), एकंरिंग में यश मालु (आईटी विभाग), अलीशा (अंगेजी विभाग), संजीव क्रो (हिन्दी विभाग), कहानी लेखन में रवि कुमार मांझी, रंजीता शर्मा (हिन्दी विभाग), सुमन विश्वास (अंग्रेजी विभाग), लोक गीत प्रतियोगिता में निधि (एफडी विभाग), अलीशा (अंग्रेजी विभाग), देवलीना (अंग्रेजी विभाग), लोक नृत्य प्रतियोगिता में निकिता शुक्ला (अंग्रेजी विभाग), साक्षी सिन्हा, किरण (हिन्दी विभाग), यामिनी, खुशबू, मनीषा (आईटी विभाग), तात्कालिक भाषण में यश मालु (आईटी), प्रियंका सिंह (हिन्दी विभाग), निकिता शुक्ला (अंग्रेजी विभाग) ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। 

कहानी लेखन, एंकरिंग और चित्रकला में दिखाया हुनर


हिन्दी सप्ताह-2018: विभिन्न स्पर्धाओं में विद्यार्थियों ने दिखाया उत्साह

रायपुर, 12 सितंबर,2018 मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी सप्ताह 2018 के अंतर्गत कहानी लेखन, तात्कालिक भाषण, एंकिरिंग और साहित्यकारों के जीवन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपने कौशल का प्रदर्शन किया। 
मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि साहित्यकारों के जीवन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद, कवि और संत कबीरदास, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, मैथली शरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला आदि के चित्र उकेरे। एकंरिंग प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपनी रूचि के विषय पर प्रस्तुति दी। तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को अलग-अलग विषय प्रदान किये गए। इनमें छात्र संगठन, आधुनिक युग में युवा और फैशन, इलेक्ट्रानिक मीडिया के लाभ और हानि, संचार क्रांति, इंटरनेट, भष्टाचार और समाज, महंगाई, आतंकवाद, महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर विद्यार्थियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। डॉ. अंसारी ने बताया कि विद्यार्थियों ने कहानी लेखन प्रतियोगिता में भी पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। कहानी लेखन प्रतियोगिता के अंतर्गत विद्यार्थियों ने चित्र देखकर कहानी लिखी। इन विभिन्न प्रतियोगिताओं के निर्णायक डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य, परमिंदर कौर, डॉ. रेशमा अंसारी, रीता दीवानजी, सोनम शर्मा, मधुबाला शुक्ला थीं। सभी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी सप्ताह के समापन समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा। 
समूह फोटो - हिन्दी विभाग के प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएँ...

हिन्दी साहित्यकारों के जीवन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता।

हिन्दी साहित्यकारों के जीवन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता।

हिन्दी सप्ताह में कवियों ने बिखेरी छटा

मैट्स विश्वविद्यालय में हिन्दी सप्ताह का शुभारंभ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से
रायपुर, 10 सितंबर 2018 मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी सप्ताह का उद्घाटन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के आयोजन के साथ किया गया। कवियों ने गृहस्थ जीवन से लेकर समसामयिक सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ हिन्दी भाषा के महत्व पर भी श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया। कवियों ने अपनी मंत्रमुग्ध करने वाली रचनाओं की छठा बिखेरी। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संस्कृति के विभिन्न रंगों से सराबोर रहा। 
मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि मैट्स विश्ववविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस के अवसर पर 10 सितंबर से 14 सितंबर तक रंगारंग हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह के प्रथम दिवस 10 सितंबर को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अनेक ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से संस्कृति के विभिन्न रंग बिखेरे। इनमें मनोहर मनोज, अर्चना अर्चन, मयंक शर्मा, शशि दुबे, राजेश जैन राही, कुमार जगदलवी, मनोज शुक्ला, सहित अनेक कवियों ने समसामयिक विषयों पर काव्य पाठ किया। समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृति विभाग के उपसंचालक श्री राहुल सिंह, विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पुसदकर थे। इस अवसर पर कुलपति प्रो. कर्नल (डॉ.) बैजू जॉन, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा, प्लेसमेंट अधिकारी श्रीमती दीपिका ढांढ, सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
उद्घाटन समारोह

विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी पुस्तक भेंटकर स्वागत करते हुए।

माननीय कुलपति प्रो. कर्नल (डा.) बैजू जान मुख्य अतिथि का स्मृति
चिन्ह भेंटकर स्वागत करते हुए। 

विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी पुस्तक भेंटकर स्वागत करते हुए।
टीवी धारावाहिक “वाह-वाह क्या बात है” में अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले प्रसिद्ध कवि मनोहर मनोज ने समाज में फैली विसंगतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा “इस देश में लोग जहर से नहीं, दवाइयों से मरते हैं।” उन्होंने विभिन्न राजनीतिक समस्याओं पर भी व्यंग्य कसे। जबलपुर से आईं अर्चना अर्चन ने कहा “जमाने भर में अर्चन, प्यार के किस्से नहीं होते, अगर राधा नहीं होती तो यह मोहन नहीं होता।” छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि श्री सुरेंद्र दुबे जी की धर्मपत्नी कवियित्री श्रीमती शशि दुबे ने गृहस्थ जीवन की सच्चाइयों को अपनी रचनाओं के माध्यम से सामने रखा। उन्होंने कहा “फूलों की कोई कद्र न कीमत कोई होती, गर उसमें बसी मीठी सी खुशबू नहीं होती, हमारे चारों तरफ गर ये हस्ती खिलखिलाती बेटियाँ न हों तो ये दुनिया किसी के रहने के लायक नहीं होती।” युवा कवि मयंक शर्मा ने कहा “बेटे ढूढने में रहे कागज वसीयतों का, बेटियाँ तो बाप की दवाई ढूंढती रही।” राजेश जैन राही ने हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति को रेखांकित करते हुए कविता पाठ किया। मनोज शुक्ला, कुमार जगदलवी ने भी अपनी रचनाएँ पढ़ीं।
इसके पूर्व समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। अपने स्वागत भाषण में हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने कहा कि हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिये निरंतर हिन्दी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष हिन्दी सप्ताह के अंतर्गत इस तरह के रचनात्मक आयोजन किये जाते हैं। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का यह छठवां अवसर है, वर्ष 2013 से लगातार हम कवि सम्मेलन का आयोजन करते आ रहे हैं।  हिन्दी सप्ताह के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिये कहानी लेखन, लोक नृत्य, लोक गीत,  निबंध, लेखन आदि स्पर्धाओं का भी आयोजन किया गया है।  हिन्दी सप्ताह का समापन समारोह 14 सितंबर को आयोजित किया जाएगा।