जय हिन्द...

सोमवार, 23 अगस्त 2021

                     फोटो प्रदर्शनी में सीखीं छायाचित्रों की बारीकियाँ

फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रयासों की सराहना
फोटो पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा रायपुर प्रेस क्लब में 19 अगस्त 2021 से 21 अगस्त 2021  तक आयोजित तीन दिवसीय फोटोग्राफी प्रदर्शनी का मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग के छात्र-छात्राओं ने शुक्रवार को अवलोकन किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को एसोसिएशन के पदाधिकारियों व वरिष्ठ छायाकारों ने फोटोग्राफी की बारीकियाँ समझाईं और फोटो प्रदर्शनी के उद्देश्य से अवगत कराया।
    मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा पिछले अनेक वर्षों से विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर फोटो प्रदर्शनी का सफल आयोजन किया जाता रहा है जिसमें विभाग के विद्यार्थी प्रदर्शनी के माध्यम से ज्ञानवर्धक जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। 19 अगस्त से 21 अगस्त तक आयोजित तीन दिवसीय फोटो प्रदर्शनी की मैेट्स यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने सराहना की तथा अनेक महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कीं। फोटो प्रदर्शन में कला, संस्कृति, धर्म, अध्यात्म सहित विविध समसामयिक विषयों के आकर्षक छायाचित्रों का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी में रायपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ छाया पत्रकारों श्री गोकुल सोनी, श्री महादेव तिवारी, श्री शारदा त्रिपाठी,  श्री दीपक पाण्डेय, श्री किशन लोखण्डे सहित अनेक छायाकारों ने फोटो पत्रकारिता की चुनौतियों और कला से अवगत कराया। छाया पत्रकारों ने बताया कि किस तरह विपरीत परिस्थितियों में फोटो पत्रकारों को अपनी भूमिका निभानी पड़ती है। उन्होंने अच्छे फोटो पत्रकार के गुण, फोटोग्राफी की कला और फोटोग्राफी में कैरियर की संभावनाओं की भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पुसदकर ने भी विद्यार्थियों को फोटो पत्रकारिता की चुनौतियों से अवगत कराया एवं महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। इस दोरान मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग के सह प्राध्यापक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. कमलेश गोगिया सहित अनेक विद्यार्थी, छाया पत्रकार, पत्रकार तथा रायपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारीगण मौजूद थे।

 


 विद्यार्थियों ने फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन को हिन्दी विभाग की तरफ से स्मृति चिन्ह प्रदान किया। मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति  प्रो. के.पी. यादव, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा, हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों एवं रायपुर प्रेस क्लब के सभी छाया पत्रकारों को विश्व फोटोग्राफी दिवस पर आयोजित फोटोग्राफी प्रदर्शनी की हार्दिक शुभकामनाएं दी है तथा भावी पीढ़ी के लिए इस आयोजन को सराहनीय प्रयास बताया है।



 

गुरुवार, 5 अगस्त 2021

 आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचंद की रचनाएँ और उनके पात्र

मुंशी प्रेमचंद जयंती पर मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग में राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

वह होरी हो या निर्मला अथवा अन्य कोई पात्र, प्रेमचंद की रचनाएँ और उनके द्वारा रचित पात्र समकालीन होने के बाद भी आज प्रासंगिक है। प्रेमचंद पर जितनी चर्चा की  जाए कम है।  आज जितने भी विमर्श चल  रहे हैं, उनका चित्रण प्रेमचंद की कहानियों एवं उपन्यास में मिलता है। यह बातें मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग द्वारा प्रेमचंद की जयंती पर 31 जुलाई 2021 को आयोजित राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हिन्दी साहित्य के विशेषज्ञों ने कहीं। 

मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि प्रेमचंद की 141वीं जयंती पर 31 जुलाई, शनिवार को हिन्दी साहित्य और मुंशी प्रेमचंदः वर्तमान परिदृश्य को लेकर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख एवं विशिष्ट वक्ता स्नात्कोत्तर  हिन्दी यूनिवर्सिटी कॉलेज, मंगलोर कर्नाटक  की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमा टी रोडन्नवर थीं। विशिष्ट वक्ता डॉ. सुमा टी रोडन्नवर ने कहा कि प्रेमचंद के पूर्व साहित्य मे कल्पना की उड़ान देखने को मिलती है लेकिन प्रेमचंद जी ने सामाजिक य़थार्थ को अभिव्यक्त किया। उन्होंने मध्यमवर्गीय आम आदमी और गरीब किसान को कथा का नायक बनाया। आज जितने भी विमर्श चल रहे हैं दलित विमर्श, नारी विमर्श ये प्रेमचंद की रचनाओं में अभिव्यक्त किये जा चुके हैं और कहा जा सकता है कि विमर्श की शुरुआत प्रेमचंद से हो चुकी थी। 

प्रेमचंद के दौर की अनेक सामाजिक समस्याएं आज भी यथावत देखने को मिलती हैंं। प्रेमचंद के बारे में जितना सोचा जाए, उनके बारे में उतना लिखने की प्रेरणा मिलती है। वेब संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद सार्वभौम मानवता के प्रबल समर्थक थे। प्रेमचंद की दृष्टि में साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं, वह समाज का दीपक भी है और उसका काम समाज का यथार्थ दिखाना ही नहीं, समाज को प्रकाश दिखाना भी है। प्रेमचंद का साहित्य किसान, मजदूर एवं दलित वर्ग का ऐसा साहित्य है जिसकी प्रासंगिकता कभी समाप्त नहीं होगी। प्रेमचंद ने हिन्दी में यथार्थवाद की शुरुआत  की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद साहित्य की ऐसी विरासत सौंप गए हैं जो गुणों की दृष्टि से अमूल्य है और आकार की दृष्टि से असीमित है। 

उन्होंने कहा कि वह होरी हो या निर्मला अथवा अन्य कोई पात्र, प्रेमचंद की रचनाएँ और उनके द्वारा रचित पात्र समकालीन होने के बाद भी आज प्रासंगिक है। प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के देदीप्यमान दीपक हैं जिनकी चमक कभी कम नहीं हो सकती। इनकी कथा साहित्य का ताना-बाना हम जस के तस पाते हैं। सरकार की ओर से उत्पीड़न का दौर नहीं रहा, साहूकारों, जमींदारों का दौर भी खत्म हो गया लेकिन नये चेहरों के साथ शोषण करन वाले चेहरे आज भी जिंदा है, यही प्रासंगिकता है। प्रेमचंद के साहित्य  की लौ कभी धीमी नहीं होगी।  इस अवसर पर मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. के.पी. यादव ने कहा कि प्रेमचंद सदैव प्रासंगिक रहेंगे। कलम के सिपाही के रूप में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान दिया जिसे कभी विस्मृत नहीं किया  जा सकता। सामाजिक कुरीतियों को हटाकर मानवीय मूल्यों की स्थापना करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रो. यादव ने प्रेमचंद के गांव और उनके निवास स्थान के भ्रमण की यादें साझा कीं।

इसके  पूर्व मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रेमचंद हिन्दी साहित्य जगत के एसे तेजस्वी सितारे  हैं जिसकी चमक हिन्दी साहित्य को हमेशा रोशन करती रहेगी। उनका लेखन तथा उनके साहित्य में निहित विषय आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार कि दिशा में किये जा रहे प्रयासों व विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों व उपलब्धियों से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनीता तिवारी ने किया। इस अवसर पर सह प्राध्यापक डॉ. कमलेश गोगिया, सहायक  प्राध्यापक डॉ. रमणी चंद्राकर, मधुबाला शुक्ला, चंद्रेश चौधरी सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे। मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा ने प्रेमचंद जय़ंती के अवसर पर आयोजित इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी के आयोजन की सराहना करते हुए प्रेमचंद के योगदान को अविस्मरणीय बताया।

नवीन दृष्टिकोण से करें प्रेमचंद पर शोध 

वेब संगोष्ठी में विशेषज्ञों से वर्तमान संदर्भ में प्रेमचंद पर शोध के संदर्भ में भी प्रश्न पूछे गये। विशेषज्ञों ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर हर पहलू को लेकर शोध किया जा चुका है लेकिन ऐसा नहीं है कि उनकी रचनाओं पर वर्तमान में शोध नहीं किया जा सकता। परंपरागत रूप से हटकर नवीन दृष्टिकोण से आज भी शोध संभव है। आज भी अनेक शोधार्थी हैं जो प्रेमचंद की रचनाओं पर नये संदर्भ में शोध कर रहे हैं। शोध निर्देशकों को उन नवीन संदर्भों की जानकारी होनी चाहिए जो प्रायः कम देखने को मिलती है।

 



 भाषा का भविष्य हमारे हाथ में है

मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग और सृजन ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में विशेषज्ञों का मत

भाषा का भविष्य हमारे हाथ में है और हम अपनी भाषा के प्रति इपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन कर इसे बचा सकते हैं। जिस तरह से साहित्य में हिंग्लिश का प्रयोग हो रहा है, वह उचित नहीं है। हमें हमारी भाषा पर गर्व करना चाहिए। हिन्दी के साथ मीडियाा में भी काफी बदलाव आए हैं। यह तमाम बातें ने मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन, अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका सृजन ऑस्ट्रेलिया और सृजन ऑस्ट्रेलिया छत्तीसगढ़ द्वारा संयुक्त रूप से ’हिन्दी साहित्य और मीडिया का बदलता स्वरूप’ विषय पर 12 अप्रैल, 2021 को ऑनलाइन आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में विषय विशेषज्ञों ने कहीं।

 

मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि इस वेबिनार में ऑस्ट्रेलिया, मॉरिशस सहित देश के विभिन्न राज्यों के 457 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं विशेषज्ञ शामिल थे। देश के वरिष्ठ पत्रकार, हिन्दीसेवी तथा भारतीय भाषाओं के संवर्धन के पक्षधर विशिष्ट वक्ता श्री राहुल देव  ने कहा कि हम अपनी भाषा को बिगड़ने से रोक सकते हैं क्योंकि भाषा का भविष्य हमारे हाथ में है। हम समाज और  संसार को नहीं बदल सकते, अपने को बदलकर अपनी भाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बदलाव प्रकृति का अटल मियम है। हमारी निजी सोच रोज बदल रही है, परिवार, जीवन शैली, समाज और पूरा संसार बदल रहा है, तकनीक भी संसार को बदल रही है। इन परिवर्तनों को सचेत होकर देखें और विचारकर समझे। स्थितियों को बदलने से पहले उनको समझना जरूरी है।

 


वेबिनार के विशिष्ट वक्ता मॉरिशस में रेडियो चौनल के समन्वयक श्री विकास गौड़ ने कहा कि वे मॉरिशस में एक रेडियो जॉकी हैं और बॉलीवुड के कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं जिन्हें लोग पसंद करते हैं। भाषा हमें अपनी पहचान देती है और  भाषा की वजह से इतने सारे लोगों से हम मिल पाते हैं। मॉरिशस में फ्रेंच स्कूल के अंदर भी हिन्दी की कक्षाओं को मान्यता मिल गई है। बॉलीवुड के माध्यम से भी लोग जुड़कर हमारे गाने सुन पा रहे हैं, उन्हें किसी न किसी रूप में भाषा सीखने का अवसर मिल रहा है।

वेबिनार के मुख्य वक्ता अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका सृजन ऑस्ट्रेलिया के प्रधान संपादक डॉ. शैलेष शुक्ला ने कहा कि अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल करके हिन्दी को बिगाड़ा जाना उचित नहीं है। हम हिन्दी के जिस बदलते परिदृश्य की बात कर रहे हैं उसका एक चिंताजनक पहलु है कि उसमें जबरदस्ती अंग्रेजी के शब्दों को मिलाया जाता है जो उचित नहीं है। न्यू मीडिया के इस दौर में हिन्दी के नामी अखबार भी अंग्रेजी के उन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए पहले से हिन्दी के सरल व सहज शब्द उपलब्ध हैं। हिन्दी के अखबारों में रोमन लिपि में भी शब्द लिखे जाने लगे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में किसी भी चीज का इतिहास लिखा जाएगा तो उसके निश्चित रूप से दो खंड होंगे। एक होगा कोविड पूर्व और एक होगा कोविड के पश्चात। कोरोना ने हर क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन लाया है। हिन्दी पर कोरोना का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है। हिन्दी के वेबीनार में देश-विदेश के लोग दस-पंद्रह सालों से उपलब्ध तकनीक के माध्यम से जुड़ पा रहे हैं और शिक्षा, अकादमी सहित विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग होना तथा हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार होना सकारात्मक पहलू है। लेकिन अनेक हिन्दी भाषी मीडिया साथियों को रोजगार का अभाव भी झेलना पड़ा है। हिन्दी व अन्य भाषाओं के कंटेट में पश्चिम की नकल बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। इस स्वरूप को तोड़ना होगा। हमारे अपने देश में बहुत सी पारंपरिक कहानियाँ हैं चाहे वे वेदों के प्रसंग हों या पंचतंत्र की कहानियाँ, वेद-पुराण हों, इन पर ध्यान देना होगा। जिससे हम आधुनिक मीडिया अथवा न्यू मीडिया में उसका प्रयोग करते हुए हम परंपरा से भी जुड़े रहें और आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग करते रहें।

अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता  करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम महिला डीलिट. उपाधि प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शुक्ल ने कहा कि भाषा हमारी विरासत है जिसे हमें आगे बढ़ाना है और इसके लिए आवश्यक है हमारी भाषा में ज्यादा से ज्यादा व्यवहार करना और उस पर गर्व करना। हमें हमारी गुलाम मानसिकता को बदलना होगा। अंग्रेजी नहीं आने पर हमें र्शिर्मंदा नहीं होना चाहिए बल्कि हिन्दी नहीं आने पर हमें शर्मिंदा होना चाहिए। साहित्य लेखन में सभी क्षेत्रों के लोग हैं जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार आदि भी शामिल हैं। स्थितियाँ बदली हैं तो विषय भी  बदला है। कोरनाकाल की भयावहता भी वर्तमान साहित्य में शामिल हो गई है। साहित्य की शैली में भी पर्याप्त बदलाव हुआ है। इसके पूर्व मैट्स यूनिवर्सिटी की उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ ने भाषा के महत्व पर अपने विचार रखे एवं वर्तमान परिदृश्य में हिन्दी साहित्य व मीडिया में आए बदलाव पर सारगर्भित बातें रखीें। मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, माहनिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, कुलसचवि श्री गोकुलानंदा पंडा ने इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के सभी प्रमुख वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आयोजन की सराहना की। वेबिनार में मैट्स यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष सहित देश के विभिन्न राज्यो ंके प्राध्यापकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे।

 

 


 


सोमवार, 21 जून 2021

 

त्रकारिता और पर्यटन में रोजगार के बेहतर अवसर
रायपुर। मैट्स यूनिवर्सिटी, रायपुर के हिन्दी विभाग द्वारा संचालित रोजगारमूलक पाठ्यक्रम बी.ए. हिन्दी ऑनर्स पत्रकारिता एवं पर्यटन, पत्रकारिता एवं जनसंचार  में एक वर्षीय डिप्लोमा तथा एम.ए. हिन्दी में वर्चुअल  प्रवेश जारी है। राजभाषा हिन्दी के विकास, प्रचार-प्रसार और पत्रकारिता तथा पर्यटन में कैरियर की बेहतरीन संभावनाओं के मद्देनजर इस कोर्स को पिछले कई वर्षों से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर के हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि भाषा, पत्रकारिता एवं पर्यटन जीवन के महत्वपूर्ण अंग बन गए हैं। इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तथा संभावनाओं को ध्यान में रखकर हिन्दी विभाग के माध्यम से तीन वर्षीय बी.ए. हिन्दी, आनर्स (पत्रकारिता एवं पर्यटन) का कोर्स संचालित किया जाता है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य हिन्दी के साथ-साथ पर्यटन और पत्रकारिता के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं का कैरियर बनाना है। बी. ए. हिन्दी ऑनर्स को रोजगारउन्मुख बनाने की दिशा में हमारा यह सार्थक प्रयास है। डॉ. अंसारी ने बताया कि नए शिक्षा सत्र के लिए बी.ए. आनर्स हिन्दी पत्रकारिता एवं पर्यटन पाठ्यक्र के साथ-साथ पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा (डीजेएमसी) व एम.ए. हिन्दी में भी आनलाइन प्रवेश प्रारंभ हो चुका है। इस पाठ्यक्रम से जिन क्षेत्रों में संभावनाएं हैं उनमें भाषा साहित्य में विशेषज्ञ, हिन्दी अधिकारी, विज्ञापन एजेंसी, पर्यटन, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक महत्व के क्षेत्र, विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिकाएं, समाचार एंजेंसियां, ई-मीडिया, आकाशवाणी, दूरदर्शन, न्यूज चैनल, निजी क्षेत्रों के जनसंपर्क विभाग, टूरिस्ट प्लानर एवं गाइड, स्क्रिप्ट राइटर, फीचर लेखन आदि प्रमुख रूप से शामिल है।