जय हिन्द...

सोमवार, 23 अगस्त 2021

                     फोटो प्रदर्शनी में सीखीं छायाचित्रों की बारीकियाँ

फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रयासों की सराहना
फोटो पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा रायपुर प्रेस क्लब में 19 अगस्त 2021 से 21 अगस्त 2021  तक आयोजित तीन दिवसीय फोटोग्राफी प्रदर्शनी का मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग के छात्र-छात्राओं ने शुक्रवार को अवलोकन किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को एसोसिएशन के पदाधिकारियों व वरिष्ठ छायाकारों ने फोटोग्राफी की बारीकियाँ समझाईं और फोटो प्रदर्शनी के उद्देश्य से अवगत कराया।
    मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा पिछले अनेक वर्षों से विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर फोटो प्रदर्शनी का सफल आयोजन किया जाता रहा है जिसमें विभाग के विद्यार्थी प्रदर्शनी के माध्यम से ज्ञानवर्धक जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। 19 अगस्त से 21 अगस्त तक आयोजित तीन दिवसीय फोटो प्रदर्शनी की मैेट्स यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने सराहना की तथा अनेक महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कीं। फोटो प्रदर्शन में कला, संस्कृति, धर्म, अध्यात्म सहित विविध समसामयिक विषयों के आकर्षक छायाचित्रों का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी में रायपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ छाया पत्रकारों श्री गोकुल सोनी, श्री महादेव तिवारी, श्री शारदा त्रिपाठी,  श्री दीपक पाण्डेय, श्री किशन लोखण्डे सहित अनेक छायाकारों ने फोटो पत्रकारिता की चुनौतियों और कला से अवगत कराया। छाया पत्रकारों ने बताया कि किस तरह विपरीत परिस्थितियों में फोटो पत्रकारों को अपनी भूमिका निभानी पड़ती है। उन्होंने अच्छे फोटो पत्रकार के गुण, फोटोग्राफी की कला और फोटोग्राफी में कैरियर की संभावनाओं की भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पुसदकर ने भी विद्यार्थियों को फोटो पत्रकारिता की चुनौतियों से अवगत कराया एवं महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। इस दोरान मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग के सह प्राध्यापक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. कमलेश गोगिया सहित अनेक विद्यार्थी, छाया पत्रकार, पत्रकार तथा रायपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारीगण मौजूद थे।

 


 विद्यार्थियों ने फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन को हिन्दी विभाग की तरफ से स्मृति चिन्ह प्रदान किया। मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति  प्रो. के.पी. यादव, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा, हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों एवं रायपुर प्रेस क्लब के सभी छाया पत्रकारों को विश्व फोटोग्राफी दिवस पर आयोजित फोटोग्राफी प्रदर्शनी की हार्दिक शुभकामनाएं दी है तथा भावी पीढ़ी के लिए इस आयोजन को सराहनीय प्रयास बताया है।



 

गुरुवार, 5 अगस्त 2021

 आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचंद की रचनाएँ और उनके पात्र

मुंशी प्रेमचंद जयंती पर मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग में राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

वह होरी हो या निर्मला अथवा अन्य कोई पात्र, प्रेमचंद की रचनाएँ और उनके द्वारा रचित पात्र समकालीन होने के बाद भी आज प्रासंगिक है। प्रेमचंद पर जितनी चर्चा की  जाए कम है।  आज जितने भी विमर्श चल  रहे हैं, उनका चित्रण प्रेमचंद की कहानियों एवं उपन्यास में मिलता है। यह बातें मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग द्वारा प्रेमचंद की जयंती पर 31 जुलाई 2021 को आयोजित राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हिन्दी साहित्य के विशेषज्ञों ने कहीं। 

मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि प्रेमचंद की 141वीं जयंती पर 31 जुलाई, शनिवार को हिन्दी साहित्य और मुंशी प्रेमचंदः वर्तमान परिदृश्य को लेकर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख एवं विशिष्ट वक्ता स्नात्कोत्तर  हिन्दी यूनिवर्सिटी कॉलेज, मंगलोर कर्नाटक  की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमा टी रोडन्नवर थीं। विशिष्ट वक्ता डॉ. सुमा टी रोडन्नवर ने कहा कि प्रेमचंद के पूर्व साहित्य मे कल्पना की उड़ान देखने को मिलती है लेकिन प्रेमचंद जी ने सामाजिक य़थार्थ को अभिव्यक्त किया। उन्होंने मध्यमवर्गीय आम आदमी और गरीब किसान को कथा का नायक बनाया। आज जितने भी विमर्श चल रहे हैं दलित विमर्श, नारी विमर्श ये प्रेमचंद की रचनाओं में अभिव्यक्त किये जा चुके हैं और कहा जा सकता है कि विमर्श की शुरुआत प्रेमचंद से हो चुकी थी। 

प्रेमचंद के दौर की अनेक सामाजिक समस्याएं आज भी यथावत देखने को मिलती हैंं। प्रेमचंद के बारे में जितना सोचा जाए, उनके बारे में उतना लिखने की प्रेरणा मिलती है। वेब संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद सार्वभौम मानवता के प्रबल समर्थक थे। प्रेमचंद की दृष्टि में साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं, वह समाज का दीपक भी है और उसका काम समाज का यथार्थ दिखाना ही नहीं, समाज को प्रकाश दिखाना भी है। प्रेमचंद का साहित्य किसान, मजदूर एवं दलित वर्ग का ऐसा साहित्य है जिसकी प्रासंगिकता कभी समाप्त नहीं होगी। प्रेमचंद ने हिन्दी में यथार्थवाद की शुरुआत  की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद साहित्य की ऐसी विरासत सौंप गए हैं जो गुणों की दृष्टि से अमूल्य है और आकार की दृष्टि से असीमित है। 

उन्होंने कहा कि वह होरी हो या निर्मला अथवा अन्य कोई पात्र, प्रेमचंद की रचनाएँ और उनके द्वारा रचित पात्र समकालीन होने के बाद भी आज प्रासंगिक है। प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के देदीप्यमान दीपक हैं जिनकी चमक कभी कम नहीं हो सकती। इनकी कथा साहित्य का ताना-बाना हम जस के तस पाते हैं। सरकार की ओर से उत्पीड़न का दौर नहीं रहा, साहूकारों, जमींदारों का दौर भी खत्म हो गया लेकिन नये चेहरों के साथ शोषण करन वाले चेहरे आज भी जिंदा है, यही प्रासंगिकता है। प्रेमचंद के साहित्य  की लौ कभी धीमी नहीं होगी।  इस अवसर पर मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. के.पी. यादव ने कहा कि प्रेमचंद सदैव प्रासंगिक रहेंगे। कलम के सिपाही के रूप में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान दिया जिसे कभी विस्मृत नहीं किया  जा सकता। सामाजिक कुरीतियों को हटाकर मानवीय मूल्यों की स्थापना करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रो. यादव ने प्रेमचंद के गांव और उनके निवास स्थान के भ्रमण की यादें साझा कीं।

इसके  पूर्व मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रेमचंद हिन्दी साहित्य जगत के एसे तेजस्वी सितारे  हैं जिसकी चमक हिन्दी साहित्य को हमेशा रोशन करती रहेगी। उनका लेखन तथा उनके साहित्य में निहित विषय आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार कि दिशा में किये जा रहे प्रयासों व विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों व उपलब्धियों से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनीता तिवारी ने किया। इस अवसर पर सह प्राध्यापक डॉ. कमलेश गोगिया, सहायक  प्राध्यापक डॉ. रमणी चंद्राकर, मधुबाला शुक्ला, चंद्रेश चौधरी सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे। मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा ने प्रेमचंद जय़ंती के अवसर पर आयोजित इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी के आयोजन की सराहना करते हुए प्रेमचंद के योगदान को अविस्मरणीय बताया।

नवीन दृष्टिकोण से करें प्रेमचंद पर शोध 

वेब संगोष्ठी में विशेषज्ञों से वर्तमान संदर्भ में प्रेमचंद पर शोध के संदर्भ में भी प्रश्न पूछे गये। विशेषज्ञों ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर हर पहलू को लेकर शोध किया जा चुका है लेकिन ऐसा नहीं है कि उनकी रचनाओं पर वर्तमान में शोध नहीं किया जा सकता। परंपरागत रूप से हटकर नवीन दृष्टिकोण से आज भी शोध संभव है। आज भी अनेक शोधार्थी हैं जो प्रेमचंद की रचनाओं पर नये संदर्भ में शोध कर रहे हैं। शोध निर्देशकों को उन नवीन संदर्भों की जानकारी होनी चाहिए जो प्रायः कम देखने को मिलती है।

 



 भाषा का भविष्य हमारे हाथ में है

मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग और सृजन ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में विशेषज्ञों का मत

भाषा का भविष्य हमारे हाथ में है और हम अपनी भाषा के प्रति इपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन कर इसे बचा सकते हैं। जिस तरह से साहित्य में हिंग्लिश का प्रयोग हो रहा है, वह उचित नहीं है। हमें हमारी भाषा पर गर्व करना चाहिए। हिन्दी के साथ मीडियाा में भी काफी बदलाव आए हैं। यह तमाम बातें ने मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन, अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका सृजन ऑस्ट्रेलिया और सृजन ऑस्ट्रेलिया छत्तीसगढ़ द्वारा संयुक्त रूप से ’हिन्दी साहित्य और मीडिया का बदलता स्वरूप’ विषय पर 12 अप्रैल, 2021 को ऑनलाइन आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में विषय विशेषज्ञों ने कहीं।

 

मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि इस वेबिनार में ऑस्ट्रेलिया, मॉरिशस सहित देश के विभिन्न राज्यों के 457 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं विशेषज्ञ शामिल थे। देश के वरिष्ठ पत्रकार, हिन्दीसेवी तथा भारतीय भाषाओं के संवर्धन के पक्षधर विशिष्ट वक्ता श्री राहुल देव  ने कहा कि हम अपनी भाषा को बिगड़ने से रोक सकते हैं क्योंकि भाषा का भविष्य हमारे हाथ में है। हम समाज और  संसार को नहीं बदल सकते, अपने को बदलकर अपनी भाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बदलाव प्रकृति का अटल मियम है। हमारी निजी सोच रोज बदल रही है, परिवार, जीवन शैली, समाज और पूरा संसार बदल रहा है, तकनीक भी संसार को बदल रही है। इन परिवर्तनों को सचेत होकर देखें और विचारकर समझे। स्थितियों को बदलने से पहले उनको समझना जरूरी है।

 


वेबिनार के विशिष्ट वक्ता मॉरिशस में रेडियो चौनल के समन्वयक श्री विकास गौड़ ने कहा कि वे मॉरिशस में एक रेडियो जॉकी हैं और बॉलीवुड के कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं जिन्हें लोग पसंद करते हैं। भाषा हमें अपनी पहचान देती है और  भाषा की वजह से इतने सारे लोगों से हम मिल पाते हैं। मॉरिशस में फ्रेंच स्कूल के अंदर भी हिन्दी की कक्षाओं को मान्यता मिल गई है। बॉलीवुड के माध्यम से भी लोग जुड़कर हमारे गाने सुन पा रहे हैं, उन्हें किसी न किसी रूप में भाषा सीखने का अवसर मिल रहा है।

वेबिनार के मुख्य वक्ता अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका सृजन ऑस्ट्रेलिया के प्रधान संपादक डॉ. शैलेष शुक्ला ने कहा कि अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल करके हिन्दी को बिगाड़ा जाना उचित नहीं है। हम हिन्दी के जिस बदलते परिदृश्य की बात कर रहे हैं उसका एक चिंताजनक पहलु है कि उसमें जबरदस्ती अंग्रेजी के शब्दों को मिलाया जाता है जो उचित नहीं है। न्यू मीडिया के इस दौर में हिन्दी के नामी अखबार भी अंग्रेजी के उन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए पहले से हिन्दी के सरल व सहज शब्द उपलब्ध हैं। हिन्दी के अखबारों में रोमन लिपि में भी शब्द लिखे जाने लगे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में किसी भी चीज का इतिहास लिखा जाएगा तो उसके निश्चित रूप से दो खंड होंगे। एक होगा कोविड पूर्व और एक होगा कोविड के पश्चात। कोरोना ने हर क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन लाया है। हिन्दी पर कोरोना का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है। हिन्दी के वेबीनार में देश-विदेश के लोग दस-पंद्रह सालों से उपलब्ध तकनीक के माध्यम से जुड़ पा रहे हैं और शिक्षा, अकादमी सहित विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग होना तथा हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार होना सकारात्मक पहलू है। लेकिन अनेक हिन्दी भाषी मीडिया साथियों को रोजगार का अभाव भी झेलना पड़ा है। हिन्दी व अन्य भाषाओं के कंटेट में पश्चिम की नकल बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। इस स्वरूप को तोड़ना होगा। हमारे अपने देश में बहुत सी पारंपरिक कहानियाँ हैं चाहे वे वेदों के प्रसंग हों या पंचतंत्र की कहानियाँ, वेद-पुराण हों, इन पर ध्यान देना होगा। जिससे हम आधुनिक मीडिया अथवा न्यू मीडिया में उसका प्रयोग करते हुए हम परंपरा से भी जुड़े रहें और आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग करते रहें।

अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता  करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम महिला डीलिट. उपाधि प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शुक्ल ने कहा कि भाषा हमारी विरासत है जिसे हमें आगे बढ़ाना है और इसके लिए आवश्यक है हमारी भाषा में ज्यादा से ज्यादा व्यवहार करना और उस पर गर्व करना। हमें हमारी गुलाम मानसिकता को बदलना होगा। अंग्रेजी नहीं आने पर हमें र्शिर्मंदा नहीं होना चाहिए बल्कि हिन्दी नहीं आने पर हमें शर्मिंदा होना चाहिए। साहित्य लेखन में सभी क्षेत्रों के लोग हैं जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार आदि भी शामिल हैं। स्थितियाँ बदली हैं तो विषय भी  बदला है। कोरनाकाल की भयावहता भी वर्तमान साहित्य में शामिल हो गई है। साहित्य की शैली में भी पर्याप्त बदलाव हुआ है। इसके पूर्व मैट्स यूनिवर्सिटी की उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ ने भाषा के महत्व पर अपने विचार रखे एवं वर्तमान परिदृश्य में हिन्दी साहित्य व मीडिया में आए बदलाव पर सारगर्भित बातें रखीें। मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, माहनिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, कुलसचवि श्री गोकुलानंदा पंडा ने इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के सभी प्रमुख वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आयोजन की सराहना की। वेबिनार में मैट्स यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष सहित देश के विभिन्न राज्यो ंके प्राध्यापकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे।

 

 


 


सोमवार, 21 जून 2021

 

त्रकारिता और पर्यटन में रोजगार के बेहतर अवसर
रायपुर। मैट्स यूनिवर्सिटी, रायपुर के हिन्दी विभाग द्वारा संचालित रोजगारमूलक पाठ्यक्रम बी.ए. हिन्दी ऑनर्स पत्रकारिता एवं पर्यटन, पत्रकारिता एवं जनसंचार  में एक वर्षीय डिप्लोमा तथा एम.ए. हिन्दी में वर्चुअल  प्रवेश जारी है। राजभाषा हिन्दी के विकास, प्रचार-प्रसार और पत्रकारिता तथा पर्यटन में कैरियर की बेहतरीन संभावनाओं के मद्देनजर इस कोर्स को पिछले कई वर्षों से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर के हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि भाषा, पत्रकारिता एवं पर्यटन जीवन के महत्वपूर्ण अंग बन गए हैं। इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तथा संभावनाओं को ध्यान में रखकर हिन्दी विभाग के माध्यम से तीन वर्षीय बी.ए. हिन्दी, आनर्स (पत्रकारिता एवं पर्यटन) का कोर्स संचालित किया जाता है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य हिन्दी के साथ-साथ पर्यटन और पत्रकारिता के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं का कैरियर बनाना है। बी. ए. हिन्दी ऑनर्स को रोजगारउन्मुख बनाने की दिशा में हमारा यह सार्थक प्रयास है। डॉ. अंसारी ने बताया कि नए शिक्षा सत्र के लिए बी.ए. आनर्स हिन्दी पत्रकारिता एवं पर्यटन पाठ्यक्र के साथ-साथ पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा (डीजेएमसी) व एम.ए. हिन्दी में भी आनलाइन प्रवेश प्रारंभ हो चुका है। इस पाठ्यक्रम से जिन क्षेत्रों में संभावनाएं हैं उनमें भाषा साहित्य में विशेषज्ञ, हिन्दी अधिकारी, विज्ञापन एजेंसी, पर्यटन, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक महत्व के क्षेत्र, विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिकाएं, समाचार एंजेंसियां, ई-मीडिया, आकाशवाणी, दूरदर्शन, न्यूज चैनल, निजी क्षेत्रों के जनसंपर्क विभाग, टूरिस्ट प्लानर एवं गाइड, स्क्रिप्ट राइटर, फीचर लेखन आदि प्रमुख रूप से शामिल है।

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

 सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की भाषा है हिन्दी



बाल कवियों  की रचनाओं ने किया मंत्रमुग्ध
मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ऑनलाइन किया हिन्दी दिवस का आयोजन
रायपुर। हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता को अक्षुण बनाए रखने में हिन्दी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है। हिन्दी समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। यह हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की भाषा है ।
यह बातें मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा 14 सितंबर को आयोजित ऑनलाइन हिन्दी दिवस समारोह में अतिथियों ने कहीं। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि 14 सितंबर को  मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस समारोह का अॅानलाइन आयोजन किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ साहित्यकार एवं दैनिक समाचार पत्र देशबंधु के ’मड़ई’ अंक की संपादक श्रीमती सुधा वर्मा एवं राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त कवयित्री श्रीमती शालू सूर्या थीं। समारोह में शालू सूर्या की पुत्रियों छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध बाल कवयित्री 12 वर्षीय भव्या सूर्या एवं 10 वर्षीय लक्ष्या सूर्या ने अपनी रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
समारोह की मुख्य अतिथि एवं वक्ता वरिष्ठ महिला साहित्यकार सुधा वर्मा ने कहा कि हिन्दी विदेशों में काफी फल-फूल रही है जो हर्ष का विषय़ है। विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की दिशा में कफी अच्छे प्रयास हो रहे हैं। विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध कवयित्री राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त शालू सूर्या ने कहा कि हमें हर दिन हिन्दी दिवस मनाना चाहिए क्योंकि इसके बिना हमारी संस्कृति अधूरी है। उन्होंने हिन्दी भाषा पर दोहे और छंद भी सुनाए। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमें एकता के सूत्र में पिरोये रखती है और बच्चे जब जन्म लेते हैं तो सबसे पहले हिन्दी में ही माँ शब्द का उच्चारण करते हैं। समारोह में छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध बाल कवि 12 वर्षीय भव्या सूर्या और 10 वर्षीय लक्ष्या सूर्या ने राष्ट्रभक्ति और देश प्रेम से परिपूर्ण रचनाओं से सभी का मन मोह लिया। लक्ष्या सूर्या ने अपनी रचनाओं के माध्यम से कोरोना के प्रति लोगों को जागरुक किया। इन बाल रचनाकारों का सभी ने उत्साहवर्धन किया एवं उनकी रचनाओं की सराहना की। दोनों बाल रचनाकारों ने काफी अच्छी रचनाएँ प्रस्तुत कीं जिसका सभी ने लुत्फ उठाया। इस अवसर पर मैट्स विश्वविद्यालय की उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ ने कहा कि  वैश्विक स्तर पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार की दिशा में अनेक सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं। हिन्दी में भी कैरियर के अनेक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा ने कहा कि भारत में बहुत सी भाषाएँ हैं लेकिन हिन्दी ने देश की एकता व अखंडता को बनाए रखा है। साउथ, नार्थ-ईस्ट में भी हिन्दी का महत्व बढ़ा है। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया सहित मैट्स परिवार ने हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ दीं।
इसके पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि हिन्दी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया जाता रहा है। इस वर्ष ऑनलाइन आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत विद्यारथियों ने तात्कालिक भाषण, काव्य पाठ आदि स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं विकास के लिए हिन्दी विभाग द्वारा पिछले कई वर्षों से विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। मैट्स विश्वविद्यलाय के कुलसचिव श्री गोकुलनानंदा पंडा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापकगण डॉ. रमणी चंद्राकर, डॉ. सुनीता तिवारी, मधुबाला शुक्ला, डॉ. कमलेश गोगिया सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, विद्यार्थीगण एवं गणमान्य नागरिकगण ऑनलाइन उपस्थित थे।


 व्यायाम को बना लें जीवन का अभिन्न अंग



शॉर्ट नहीं, लाइफ टाइम के लिए चुनें फिटनेस
अभिनेता पवन शेट्टी और संजय शर्मा ने मैट्स के विद्यार्थियों को दी ऑनलाइन फिटनेस ट्रेनिंग
रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा ’फिटनेस मंत्र’ विषय पर ऑनलाइन अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें शरीर सौष्ठव के क्षेत्र में मिस्टर वर्ल्ड का खिताब हासिल कर चुके साउथ के सिने अभिनेता श्री पवन शेट्टी एवं शरीर सौष्ठव के राष्ट्रीय खिलाड़ी, प्रशिक्षक एवं अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक श्री संजय शर्मा ने विद्यार्थियों को फिटनेस के बेसिक टिप्स दिये जिससे युवा पीढ़ी स्वयं को स्वस्थ रख सके।
हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य वर्तमान कठिन परिस्थितयों में युवाओं को स्वस्थ एवं फिट रहने की सहज व सरल तकनीक से अवगत कराना था। विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को ऑनलाइन वेट ट्रेनिंग की आधारभूत तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया। इस अवसर पर खनिज अधिकारी एवं शरीर सौष्ठव के अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक श्री संजय शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में सभी को अपनी दिनचर्या में व्यायाम को अभिन्न अंग बना लेना चाहिए जिसकी आज आवश्यकता है। श्री शर्मा ने विद्यार्थियों को जिम की कुछ बेसिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया जिसे हर कोई घर पर आसनी से बिना किसी विशेष उपकरणों के कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमें स्वयं को फिट रखने के लिए आलस्य त्यागकर योगा, जिम आदि को लाइफ स्टाइल में शामिल करना चाहिए। शरीर स्वस्थ रहेगा तो मन और मस्तिष्क भी स्वस्थ रहेगा और हमारे व्यक्तित्व का विकास होगा। हमें जंक फूड को त्यागकर घर के ही दाल-चावल, सोयाबीन, न्यूट्रीला आदि को महत्व देना चाहिए।
शरीर सौष्ठव में मिस्टर वर्ल्ड का खिताब जीत चुके साउथ फिल्मों के अभिनेता श्री पवन शेट्टी ने कहा कि कम से कम 30 मिनट अपने जीवन को प्रतिदिन व्यायम के लिए दीजिए। कुछ सालों में आपका जीवन बदल जाएगा। हमें व्यायाम को जीवन-भर के लिए चुनना चाहिये न कि कुछ दिने विशेष के लिए। हमें शॉर्ट नहीं लाइफ टाइम के लिए फिटनेस का चुनाव करना चाहिए। शरीर सौष्ठव से लेकर अभिनेता बनने तक के सफर को लेकर उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का पहला सबसे अनमोल पल तब आया जब मेरे पिता ने मुझे जिम जाने की अनुमति दी और दूसरा अनमोल पल वर्ष 2015 में जब मैने इटली में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मिस्टर वर्ल्ड का खिताब जीता। यहाँ तक पहुँचने में मुझे 10 वर्ष लगे लेकिन मेरा जीवन बदल गया। इसके बाद जिम का व्यवसाय प्रारंभ किया। कर्नाटक में मेरे चार जिम हैं और फिर मुझे फिल्मों से भी ऑफर आया। मुझे फिल्मों में ही अपने कैरियर को ऊचाइयों तक पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि जिम में वर्कआउट करने से पहले 15 से 20 मिनट उस संबंध में प्रतिदिन पढ़ना जरूरी है। गूगल से या फिर पत्र-पत्रिकाएँ, रिसर्च पेपेर आदि। एक अच्छा प्रशिक्षक आवश्यक है और अपनी जीवन शैली व शारीरिक संरचना के आधार पर डाइट फालो करना जरूरी है। विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब भी दिये। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष हिन्दी डॉ. रेशमा अंसारी ने विषय विशेषज्ञों द्वारा विद्यार्थियों को दिये गये अपने कीमती समय के लिए आभार व्यक्त किया। व्याख्यान में विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष. प्राध्यापकगण एवं अनेक संख्या में विद्यार्थीगण आनलाइन उपस्थित थे। मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ, एकेडमिक डीन डॉ. एस.पी. दुबे ने अतिथियों को शुभकामनाएँ देते हुए विद्यार्थियों को दिये गये फिटनेस टिप्स को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाने के लिए प्रेरित किया।




 लॉकडाउन के दौरान मैट्स ने किया ऑनलाइन पीटीएम का आयोजन

विद्यार्थियों के परिजनों से प्राध्यापकों एवं विभागाध्यक्षों ने की चर्चा, लॉकडाउन 
के नियमों का पालन करने का भी दिया संदेश


रायपुर।  मैट्स विश्वविद्यालय के सभी विभागों द्वारा लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन के साथ-साथ पीटीएम (पैरेंट्स-टीचर मीटिंग) का भी आयोजन किया जा रहा है। पीटीएम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग से हुई। इसके उपरांत हिन्दी, अंग्रेजी, आईटी, प्रबंधन, लाइफ साइंस, साइकोलॉजी, इंजीनियरिंग सहित सभी विभागों के प्राध्यापकों एवं विभागाध्यक्षों ने विद्यार्थियों के परिजनों से ऑनलाइन मुलाकात की तथा प्रगति की जानकारी प्राप्त कर आवश्यक सुझाव भी दिये।
मैट्स विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक सेमेस्टर में पीटीएम का आयोजन किया जाता है जिससे विद्यार्थियों की प्रगति की जानकारी अभिभावकों को दी जा सके एवं विद्यार्थियों की पढ़ाई से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ विश्वविद्यालय द्वारा दी जी रही शैक्षणिक सुविधाओं के संबंध में प्रतिक्रिया प्राप्त की जा सके। पीटीएम के आयोजन की शुरुआत विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश गुप्ता ने की। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन पीटीएम में विभिन्न सेमेस्टर के लगभग 200 विद्यार्थियों के परिजनों ने अलग-अलग समय में हिस्सा लिया। अभिभावकों ने लॉकडाउन के दौरान मैट्स विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं के नियमित संचालन एवं पीटीएम की सराहना की। विभागाध्यक्ष द्वारा परिजनों एवं विद्यार्थियों से लॉकडाउन के नियमों का पालन करने का संदेश भी दिया गया। विश्वविद्यालय के अन्य विभागों द्वारा भी समय-समय पर ऑनलाइन पीटीएम का आयोजन किया जा रहा है। मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, उपकलुपति डॉ. दीपिका ढांढ, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया ने इन प्रयासों को सराहनीय बताया है।


 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे मैट्स के विद्यार्थी

ग्लोबल अंडरस्टेंडिंग प्रोग्राम के अंतर्गत ईस्ट कैरोलिना यूनिवर्सिटी से मैट्स स्कूल ऑफ मैनेजमेंट
 स्ट़डीज एंड रिसर्च का एमओयू, विश्व के अनेक देश शामिल
रायपुर मैट्स विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्ट़डीज एंड रिसर्च के विद्यार्थी ग्लोबल अंडरस्टेंडिंग प्रोग्राम के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। मैट्स के विद्यार्थी एमओयू के तहत बीजिंग यूनिवर्सिटी, चीन के मैनेजमेंट के विद्यार्थियों से अपने अनुभव साझा करते हैं। इस प्रोग्राम में विश्व के 120 देशों के विद्यार्थी जुड़े हुए हैं जिनमें मैट्स विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के विद्यार्थी एवं प्राध्यापक भी शामिल हैं।
मैट्स विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा ने बताया कि मैट्स विश्वविद्यालय ने ग्लोबल अंडरस्टेंडिंग प्रोग्राम के अंतर्गत ईस्ट कैरोलिना यूनिवर्सिटी, ग्रीनविले, नॉर्थ कैरोलिना यूएसए के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है। यह एमओयू उच्च शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। यह एक औपचारिक सहयोगी संबंध की स्थापना को आगे बढ़ाने के लिए इन संस्थानों के बीच सहमति को दर्शाता है। ग्लोबल अंडरस्टेंडिंग प्रोग्राम में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च (एमएसएमएसआर) का एक हिस्सा होने के नाते, छात्र बिजनेस कॉलेज ऑफ बीजिंग यूनियन यूनिवर्सिटी (बीजिंग विश्वविद्यालय), चीन के प्रबंधन विभाग के छात्रों के साथ वैश्विक अनुभव सझा करते हैं। इसके पूर्व मार्च माह में मैट्स के विद्यार्थियों ने पौलेंड के विद्यार्थियों से अपने अनुभव साझा किये थे एवं उनकी संस्कृति की जानकारी प्राप्त की थी। प्रति माह शैड्यूल के आधार पर विद्यार्थी अलग-अलग देशों के विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों से चर्चा कर वैश्विक स्तर पर अनुभव प्राप्त करते हैं। ऑनलाइन सत्र का समन्वय एमएसएमएसआर के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक डॉ. श्रीनिवास राव के निर्देशन में सहायक प्राध्यापक डॉ. संज्या यादव और डॉ. हेमंत कुमार द्वरा किया जाता है। 
श्री पंडा ने बताया कि इसके साथ ही विश्वविद्यालय के अन्य सभी विभागों द्वारा नियमित रूप से सभी पाठ्यक्रमों में आनलाइन कक्षाएँ लगाई जा रही हैं तथा विद्यार्थियों को लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के निर्देश दिये जा रहे हैं। मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, उपकलुपति डॉ. दीपिका ढांढ, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया ने इन प्रयासों को सराहनीय बताया है।

सोमवार, 30 दिसंबर 2019

भारत लंबे समय तक युवाओं का देश बना रहेगा
मैट्स में युवा संवाद, मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों के सवालों का दिया जवाब
सवाल पूछने से ही होती है राज्य व देश की प्रगति -मुख्यमंत्री
रायपुर। बहुत लंबे समय तक यह देश युवाओं का देश बना रहेगा और युवाओं को ही यह देश संभालना है। देश का भविष्य युवा ही हैं। छत्तीसगढ़ में कृषि आधारित उद्योग में युवाओं के रोजगार की अनेक संभावनाएँ हैं। युवाओं को राजनीति में भी आना चाहिए और उन्हें प्रगतिशील विचारों के साथ आना चाहिए। 
उपर्युक्त बातें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मैट्स विश्वविद्यालय द्वारा यहाँ पंडरी स्थित मैट्स टॉवर में आयोजित ’युवा संवाद गढ़बो नवा छत्तीसगढ’़ कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ सीधे संवाद में कहीं। विद्यार्थियों के अनेक सवालों का श्री बघेल ने पूरे हर्ष के साथ जवाब दिया और वे युवाओं को प्रश्नों से काफी प्रसन्न हुये। मैट्स विश्वविद्यालय द्वारा सोमवार को युवा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. कर्नल डॉ. बैजू जान, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने अपनी मेहनत, काबिलियत और निरंतर संघर्ष के बल पर मुकाम हासिल किया है। श्री बघेल जी की पूंजी उनकी मुस्कान और सादगी से परिपूर्ण जीवन है और आम आदमी भी यही मानता है कि राज्य के मुखिया की सोच आम आदमी की प्रगति है।
युवा संवाद में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने य़ुवाओं के सवालों का जवाब देने से पूर्व अपने उद्बोधन में कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वे युवाओं के बीच हैं और हमारा देश युवाओं का देश है। भारत की औसत आयु 28 वर्ष है। जब हम 2020 में पहुँचेंगे तब अमेरिका की 42, यूरोप की 39 और जापन की 44 साल औसत आयु होगी जबकि भारत की औसत आयु सिर्फ 29 साल रहेगी। यह देश महात्मा गांधी का देश है जिस पर हम गर्व करते हैं। श्री बघेल से मैट्स विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने अनेक सवाल किये जिसका श्री बघेल ने विस्तार के साथ जवाब दिया। 
यह पूछने पर कि लम्बे संघर्ष के उपरांत वे मुख्यमंत्री बनकर कैसा महसूस कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे वरिष्ठजनों के सपनों का छत्तीसगढ़ बनाने का अवसर मिला है जिसकी उन्हें काफी प्रसन्नता है। शिक्षा के क्षेत्र में भावी योजनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है और बजट में शिक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। विद्यार्थियों ने नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना से मिलने वाले लाभ को लेकर भी सवाल किये। श्री बघेल ने कहा कि नाला को संवर्धित करने की आवश्यकता है जिससे भविष्य में पानी की समस्या का समाधान हो सके। यही वॉटर रिचार्जिंग है जो नरवा है। पशुपालन के माध्यम से पशुधन संवर्धित होगा जिससे खाद की समस्या का भी समाधान होगा। यह गरुवा है।  घरवा के माध्यम से गांव व शहर के गोबर, कूड़ा-करकट से खाद व गैस बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी जिससे स्वालंबन होगा और बारी के माधयम से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे कृषि लागत कम होगी। इस प्रकार नरवा, गरुवा, घरवा और बारी से हम रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वावलंबी बन सकेंगे।
किसान से मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में श्री बघेल ने कहा कि जब वे साइंस कालेज से पढ़ाई पूरी कर गांव में खेती-किसानी करते थे तो गांव की पटवारी, तहसीलदार, थाने आदि से संबंधित छोटी-मोटी समस्या का समाधान करते थे। लोग विभिन्न समस्याओं को लेकर आने लगते थे और धीरे-धीरे वे राजनीति में आ गये जिसका उद्देश्य समाज सेवा था।
यह पूछने पर कि राज्य में अनेक व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के बाद भी रोजगार का अभाव है तो उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि आधारित रोजगार में अनेक संभावनाएँ हैं और आईटी के क्षेत्र में उद्योग लगाने की हमारी योजना है जिससे युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके। जब उनसे यह पूछा गया कि रायपुर को प्रदुषण मुक्त करने उनकी क्या योजना है तो उन्होंने कहा कि जहाँ राजधानी होती है वहाँ इंडस्ट्रीयल स्टेट नहीं होता और यहाँ दोनों है व अनेक प्रकार का प्रदुषण है। हम युवाओं के साथ मिलकर रोड मैप बनाएंगे और युवाओं से ही पूछेंगे कि रायपुर को प्रदुषण मुक्त व सुंदर कैसे बनाएँ। 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने युवाओं से कहा कि यदि किसी उद्देश्य को लेकर चल रहे हैं तो कोई आपका स्वयं का विचार या कोई विचारधारा होनी चाहिए। हम गांधीवादी विचारधारा के हैं। यदि आपका उद्देश्य लोगों की सेवा करना, छ्त्तीसगढ़ की दो करोड़ जनता का हित है आप कभी नहीं थकेंगे। पहली जरूरत किसी न किसी विचारधारा से जुड़ने की है।
श्री बघेल ने युवा संवाद में विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये सवालों के प्रति काफी प्रसन्नता व्यक्त की और यह भी कहा कि सवाल करना जरूरी है लेकिन आज के दौर में सवाल पूछना भी अपराध हो जाता है। सवाल से ही व्यक्ति प्रगति करता है और जो सवाल पूछने से बुरा नहीं मानता, अच्छा मानता है सवाल उन्हीं से पूछिये।













संचार के आधुनिक माध्यमों से समृद्ध हुआ है हिन्दी साहित्य
राष्ट्रीय संगोष्ठी में शोधार्थियों ने प्रस्तुत किये शोध पत्र
रायपुर। संचार के माध्यमों के विकास के साथ-साथ हिन्दी साहित्य का भी विकास हुआ है। हिन्दी साहित्य को आधुनिक संचार माध्यमों ने वैश्विक पहचान दी है। एक समय साहित्य और पत्रकारिता का अटूट संबंध था किन्तु आज दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ गई हैं जिसे खत्म करने की आवश्यकता है। दूसरों तक अपनी बात पहुँचाने में व्यक्ति स्वयं माध्यम है। 

 
उपर्युक्त बातें मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में अतिथियों, प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों ने व्यक्त कीं। हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी के  अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार गीताश्री (दिल्ली), विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर, कल्याण महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा. सुधीर शर्मा, कार्यक्रम की अध्यक्ष डा. उर्मिला शुक्ल, कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. कर्नल डा. बैजू जान,प्लेसमेंट अधिकारी दीपिका ढांढ सहालकार तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पुसदकर, सत्र के विषय विशेषज्ञ डा. गौरी अग्रवाल, डा. अनुसुईया अग्रवाल, डा. सरस्वती वर्मा सहित विभिन्न विभागों व महाविद्यालयों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थि उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।  इस अवसर पर मुख्य अतिथि गीता श्री ने पत्रकारिता व हिन्दी साहित्य के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ गई हैं जिन्हें कम करना संभव प्रतीत नहीं होता। साहित्यकारों ने ही पत्रकारिता को आगे बढ़ाया है। प्राचीन काल से अब तक सफर तय करते-करते दोनों अलग-अलग हो गये। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर ने कहा कि पहले जो साहित्यकार होता था वह पत्रकार भी हुआ करता था और वही पत्रकार श्रेष्ठ माना जाता था जिसे साहित्य में रूचि हुआ करती थी। स्वतंत्रता के आंदोलन में अंग्रेजो के शासनकाल में साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जन-जन को अपने साहित्य के माध्मय से जागरुक करने में समय के साथ-साथ साहित्य की प्रवृत्तियाँ भी बदली हैं। विशिष्ट अतिथि डा. सुधीर शर्मा  ने कहा कि  संचार के आधुनिक माध्यमों के संबंध में विस्तार से बताते हुए कहा कि वर्तमान में कोई भी साहित्यकार फेसबुक, ब्लाग आदि के माध्यम से अपनी रचनाओं को विश्व में बहुत की कम समय में पहुँचाने में सक्षम है। 
इस अवसर पर कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और हम सभी का कर्तव्य है कि हिन्दी भाषा को हम समृद्ध करें। श्री पगारिया ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार होगा तथा शोधार्थियों को भी इसका लाभ प्राप्त होगा। इस अवसर पर कुलपति  प्रो. कर्नल डा. बैजू जान ने कहा कि व्यक्ति स्वयं एक सर्वश्रेष्ठ माध्यम है अपनी बातों को जन-जन तक पहुँचाने का। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डा. उर्मिला शुक्ल ने कहा कि जब लिखने के लिए कागज नहीं था तो भोज पत्र पर लिखा गया, चमड़े पर भी लिखा गया। समय के साथ-साथ प्रेस की स्थापना हुई और प्रकाशन प्रारंभ हुआ। पत्रकारिता और साहित्य का अटूट संबंध रहा है। सचार के आधुनिक माध्यमों ने साहित्य को समृद्ध किया है। दूरदर्शन, इंटरनेट के माध्यम से साहित्य जन-जन तक पहुंच रहा है। वरिष्ठ पत्रकार एवं सलाहकार श्री अनिल पुसदकर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय की प्रशंसा की एवं कहा कि आज के समय में हिन्दी विभाग कई शैक्षणिक संस्थानों से लुप्त हो गये हैं एसे में मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम जैसे विषयों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करना प्रशंसनीय है। समारोह में राज्य के विभिन्न जिलों के महाविद्यालयों से आए शोधार्थियों ने विभिन् विषयों पर अपने शोध पत्र की प्रस्तुत दी। इसके पूर्व अपने स्वागत भाषण में विभागाध्यक्ष हिन्दी डा. रेशमा अंसारी ने कहा कि हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता का अनूठा और गहरा संबंध है, भारतेंदु जी हों या महावीर प्रसाद द्विवेदी, निराला हों या नामवर सिंह जी , सभी ने साहित्य को समाज से जोड़ने के लिए साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।

जैसे-जैसे संचार साधनों का विकास होता जा रहा है, वैसे-वैसे देश-दुनिया की खबरों से हम अतिशीग्र अवगत होते हैं, साहित्य भी इससे अछूता नहीं है। संचार माध्यमों का प्रभाव साहित्यिक क्षेत्रों में भी दिखाई देता है अतः राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम हमने इसलिए चुना कि वास्तव में आज इस विषय पर चर्चा की आवश्यकता है। इस अवसर पर अतिथियों ने राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
सुदीप्तो चटर्जी को श्रेष्ठ शोध पत्र का पुरस्कार
राष्ट्रीय संगोष्ठी में सुदीप्तो चटर्जी को श्रेष्ठ शोध पत्र का पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री चटर्जी ने सोशल मीडिया और पर्यटन विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। विषय विशेषज्ञ डा. अनुसुईया अग्रवाल, डा. गौरी अग्रवाल एवं डा. सरस्वती वर्मा तथा विभागाध्यक्ष हिन्दी डा. रेशमा अंसारी ने स्मृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र देकर श्री चटर्जी को पुरस्कृत किया। 
विभिन् विषयों पर प्रस्तुत किये गये शोध पत्र
राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये। इनमें हिन्दी साहित्य और सोशल मीडिया का प्रभाव, प्रोद्योगिकी और हिन्दी भाषा, आधुनिक मीडिया: भाषा और प्रकृति, तकनीकी युग में हिन्दी साहित्य का बदलता स्वरूप, प्रिंट मीडिया: चुनौतियाँ और संभावनाएँ, हिन्दी साहित्यकारों का पत्रकारिता में योगदान, अस्मितामूलक विमर्श और हिन्दी पत्रकारिता, वर्तमान परिदृश्य और साहित्य, हिन्दी साहित्य में स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ, 21वीं सदी के साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना, आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ, हिन्दी साहित्य के विकास में मीडिया की भूमिका, भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी, हिंदी के विकास में वेब मडिया का योगदान, राष्ट्र के विकास में हिंदी का योगदान, साहित्य, पर्यटन और संस्कृति, सोशल मीडिया और पर्यटन, लोक संस्कृति के विकास में मीडिया की भूमिका आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।













हिन्दी साहित्य और संचार माध्यम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रदेश व देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार लेंगे हिस्सा
शोधार्थी, विद्यार्थी व प्राध्यापक पढ़ेंगे शोध पत्र
रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा “हिन्दी साहित्य एवं संचार माध्यम” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रदेश व देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, प्राध्यापक शोधार्थी हिस्सा ले रहे हैं। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार गीताश्री (दिल्ली) होंगी। 
हिन्दी  विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि संचार माध्यमों का विस्तार होने से हिन्दी साहित्य का भी महत्व बढ़ गया है। हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार व विकास के उद्देश्य से हिन्दी साहित्य एवं संचार माध्यम विषय पर 30 मार्च को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रदेश व देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, प्राध्यापक, शोधार्थी हिस्सा लेंगे तथा शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक उपविषय भी शामिल किये गये हैं जिनमें हिन्दी साहित्य और सोशल मीडिया का प्रभाव, प्रोद्योगिकी और हिन्दी भाषा, आधुनिक मीडिया: भाषा और प्रकृति, तकनीकी युग में हिन्दी साहित्य का बदलता स्वरूप, प्रिंट मीडिया: चुनौतियाँ और संभावनाएँ, हिन्दी साहित्यकारों का पत्रकारिता में योगदान, अस्मितामूलक विमर्श और हिन्दी पत्रकारिता, वर्तमान परिदृश्य और साहित्य, हिन्दी साहित्य में स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ, 21वीं सदी के साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना, आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ, हिन्दी साहित्य के विकास में मीडिया की भूमिका, भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी, हिंदी के विकास में वेब मडिया का योगदान, राष्ट्र के विकास में हिंदी का योगदान, साहित्य, पर्यटन और संस्कृति, सोशल मीडिया और पर्यटन, लोक संस्कृति के विकास में मीडिया की भूमिका आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। राष्ट्रीय संगोष्ठी मैट्स विश्वविद्यालय परिसर स्थित इम्पेक्ट सेंटर में 30 मार्च को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित की गई है। राष्ट्रीय संगोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार गीताश्री (दिल्ली) होंगी। विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर, कल्याण महाविद्यालय भिलाई के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा होंगे तथा अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शुक्ल करेंगी।